उत्तर प्रदेश में उपचुनाव: 10 में से 9 सीटों पर वोटिंग की घोषणा, मिल्कीपुर सीट पर चुनाव टला

लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में अब उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई है। चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इस बात की जानकारी दी। 13 नवंबर को इन 9 सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। हालांकि, मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई है क्योंकि यह सीट फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है।

मिल्कीपुर सीट पर क्यों नहीं हो रहा चुनाव?

अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव नहीं होंगे क्योंकि यह सीट अदालत में चल रहे प्रकरण के तहत है। इस कारण चुनाव आयोग ने इस पर उपचुनाव की घोषणा से फिलहाल परहेज किया है। यह सीट बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, और इसे लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी के तौर पर अजीत प्रसाद को उतारने की घोषणा कर दी है, जो कि स्वर्गीय अवधेश प्रसाद के बेटे हैं।

किन 9 विधानसभा सीटों पर होंगे उपचुनाव?

इन 9 सीटों में मीरापुर, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, करहल, फूलपुर, कटहरी, मझवा और सीसामऊ की सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर विभिन्न दलों के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना है।

करहल सीट पर अखिलेश यादव के बाद की स्थिति

करहल सीट, जो समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने खाली की है, इस बार भी चर्चा में है। यहां से समाजवादी पार्टी के तेजप्रताप यादव के चुनाव लड़ने की संभावना है। हालांकि, अभी पार्टी ने आधिकारिक रूप से कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। बीजेपी ने भी अब तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

गठबंधन और सीट बंटवारे पर चल रही चर्चाएं

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के तहत सीटों का बंटवारा अभी तय नहीं हुआ है। कांग्रेस भी अपने प्रत्याशियों को उतारने की तैयारी में है। वहीं, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को मीरापुर सीट दिए जाने की संभावना है, जहां से पहले उनके नेता चंदन चौहान विधायक थे। चंदन चौहान के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।

मझवा और कटहरी सीट पर संजय निषाद की मांग

संजय निषाद ने मझवा और कटहरी सीटों की मांग की थी, जहां से उनके प्रत्याशी 2022 के विधानसभा चुनाव में लड़े थे। हालांकि, सूत्रों के अनुसार बीजेपी मझवा सीट पर खुद चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है और संजय निषाद को मनाने की कवायद चल रही है। कटहरी सीट पर समाजवादी पार्टी ने लालजी वर्मा की पत्नी को टिकट दे दिया है, क्योंकि लालजी वर्मा सांसद बन गए हैं।

बसपा और आजाद समाज पार्टी की रणनीति

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और आजाद समाज पार्टी ने भी इस उपचुनाव में अपनी कमर कस ली है। आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को उम्मीद है कि सांसद बनने के बाद उनका राजनीतिक ग्राफ बढ़ेगा, और वे दलित-मुस्लिम गठबंधन के साथ एक मजबूत चुनावी रणनीति बना सकेंगे। उनका लक्ष्य दलित और पिछड़े वोटों पर पकड़ बनाना है। इसके साथ ही, पल्लवी पटेल और एआईएमआईएम के साथ मिलकर एक मजबूत गठबंधन बनाने की तैयारी हो रही है।

मायावती की बसपा का अलग रास्ता

मायावती की पार्टी बसपा इस बार भी ‘एकला चलो’ की नीति अपनाते हुए अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। बसपा ने अब तक अपनी सीटों और प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, लेकिन वे इस उपचुनाव में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की पूरी कोशिश में हैं।

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